गुर्जर सम्राट प्रथ्वीराज चौहान पृथ्वीराज रासो (’रेवा तट’ सर्ग की कथा, रेवा तट’ की काव्यगत विशेषताएँ) - सुदर्शना कोचिंग क्लासेज
सभी प्रतियोगी परीक्षाओ हेतू .. HINDI FOR RPSC 1st & 2nd GRADE/NET,SET,JRF 9214964437 ,9664256721 गुर्जर सम्राट प्रथ्वीराज चौहान CLICK - 👉 → HINDI CLASS यह पृथ्वीराज रासो का अंश है जिसकी रचना चंदबरदाई ने की थी। कहा जाता है कि चन्दबरदाई पृथ्वीराज का सखा, सामंत, राजमंत्री था। आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ने अर्द्ध प्रामाणिक मानते हुए इसके उसी अंश को प्रामाणिक माना है जिसका प्रारम्भ शुक-शुकी संवाद से हुआ है। उनका प्रमुख तर्क यह है कि आदिकाल में प्रचलित संवाद शैली में ही पृथ्वीराज रासो की रचना हुई है। इस आधार पर वे केवल 7 सर्गों को ही प्रामाणिक मानते है जिसमें रेवातट समय नहीं है। इस सम्बन्ध में उनका मत है कि सभी ऐतिहासिक कहे जाने वाले काव्यों के समान इसमें भी फैक्ट और फिक्शन का मिश्रण है इसके कथानक में भी रूढियों का सहारा लिया गया है इसमें भी रस सृष्टि की ओर ध्यान दिया गया है। कवि की कल्पना का समावेश भी है। रेवातट समय में पृथ्वीराज ने रेवा नदी के तट पर जो भयानक युद्ध मोहम्मद गोरी से किया उसका वर
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