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Showing posts from October 1, 2023

बिहारी सतसई बिहारी रत्नाकर – जगन्नाथदास रत्नाकर Bihari Ratnakar Jagnath Das Ratnakar

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                                                                बिहारी सतसई  download app -    DR.SAHIL CLASSES       बिहारी सतसई एक मुक्तक काव्य है जिसे कवि बिहारी द्वारा  रचा  गया था, बिहारी सतसई मुक्तक काव्य, में  लगभग 713 दोहे संकलित हैं। इसमें नीति, शृंगार और भक्ति और से संबंधित  दोहों की आलोचना का संकलन है। कवि बिहारी जी का पूरा नाम बिहारी लाल है, हिंदी साहित्य में रीति काल के प्रमुख कवि बिहारी लाल की लिखी बिहारी सतसई ने बड़ी प्रसिद्धि है। बिहारी लाल पुराने जवाने के काफी मशहूर कवि थे। उस समय मे कवि के मामले में बिहारी लाल को टक्कर देने वाला कोई नही था।   कवि बिहारी लाल कौन थे ? (कवि बिहारी लाल की जीवन परिचय) कवि बिहारी लाल को पुराने समय मे महाकवी का दर्जा दिया गया था। महाकवी बिहारी जी का पूरा नाम बिहारी लाल था । बिहारी जी का जन्म वर्ष 1603 में ग्वालियर के पास बसुआ (गोविंदपुर) नामक किसी गाँव मे हुवा था। कवि बिहारी लाल जी का पिता का नाम पंडित केशव राय चौबे था। बचपन में ही ये अपने पिता के साथ किसी कारण से ग्वालियर से ओरछा नगर आ गए थे। ओरछा नगर में ही इन्होंने आचार्य के

सूरदास भ्रमरगीतसार पद संख्या 21- 70 तक रामचंद शुक्ल

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  सूरदास भ्रमरगीतसार (सं रामचंद शुक्ल – इकाई 5) पद संख्या 21- 70  तक           ‘ भ्रमरगीत सार ’ आचार्य रामचंद्र शुक्ल द्वारा सम्पादित महाकवि सूरदास के पदों का संग्रह है। उन्होंने सूरदास के भ्रमरगीत से लगभग 400 पदों को छांटकर भ्रमरगीतसार के रूप में प्रकाशित किया था।       आचार्य रामचंद्र शुक्ल , हजारी प्रसाद दिवेदी और श्यामसुन्दरदास के अनुसार- सूरदास का जन्म: 1474 ई० ‘ रुनकता ’ नामक गाँव में हुआ था। डॉ नगेन्द्र , डॉ गंपतिचंद्र गुप्त , 252 वैष्णवन की वार्ता और 84 वैष्णवन की वार्ता साहित्य के अनुसार- उनका जन्म ‘ सीही ’ में हुआ था। 252 और 84 वैष्णव की वार्ता (सर्वमान्य है) निधन- सूरदास का निधन 1583 ई० गोवर्धन के निकट पारसौली (मथुरा) में हुआ था। सूरदास और तुलसी जी कि यहीं पर भेंट हुई थी। गुरु- वल्लभाचार्य 1509-10 में ‘ पुष्टिमार्ग ’ की दीक्षा ली थी। सूरदास के उपनाम: ‘ पुष्टिमार्ग का जहाज ’ विट्टलनाथ ने कहा ‘ भक्ति का समुंद्र ’ वल्लभाचार्य और नाभादास दोनों ने कहा   ‘ खंजन नयन ’ अमृतलाल नागर ने कहा ‘ वात्सल्य रस का सम्राट ’